भगवान श्री कृष्ण और राधा दैवी प्रेम के प्रतीक हैं। नारद मुनि के शाप के
कारण इन्हें पृथ्वी लोक में अवतार लेकर वियोग सहना पड़ा। लेकिन इनका यह
वियोग लौकिक दुनिया की नजरों का धोखा था। असल में राधा और कृष्ण कभी अलग ही
नहीं हुए।
राधा हमेशा कृष्ण के हृदय में धड़कन की तरह समाई रहीं और
नित इनका मिलन होता रहा। इसका प्रतीक आज भी इस धरती पर मौजूद है जहां हर
रात इनकी सेज सजती है और राधा कृष्ण का मिलन होता है। |
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